सयुंक्त व एकल परिवार में बच्चों के रहने के फायदे व नुकसान

सयुंक्त व एकल परिवार में बच्चों के रहने के फायदे व नुकसान

भारत के समाज में संयुक्त परिवार प्रणाली बहुत प्राचीन हैं| विभिन्न धर्मों, जातियों में संपत्ति के अधिकार, विवाह, तलाक आदि की प्रथा की दृष्टि से अनेक भेद पाए जाते हैं। फिर भी संयुक्त परिवार का आदर्श सर्वमान्य है। भारत में संयुक्त परिवार का कारण कृषि प्रधान की अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त प्राचीन परंपराओं और आदर्शों में निहित है। एकल परिवार (Ekal Parivar) या जॉइंट फैमिली के कुछ फायदे-नुकसान (Advantages and Disadvantages of Joint family) हमें अवश्य पता चोना चाहिए जिसका वर्णन हम इस लेख में करने जा रहे हैं।

 

रामायण व महाभारत की गाथाओं द्वारा यह आदर्श जन-जन मे प्रेषित है। पर आज कल लोग एकल परिवार मे रहने लगे हैं। एकल परिवार से पहले लोग संयुक्त परिवार मे मिल जुल कर रहते थे। संयुक्त परिवार मे एक मुखिया होता था जिसकी बात हर कोई मानता था। संयुक्त परिवार आजकल खत्म होने लगे हैं व एकल परिवार की बढ़ोत्तरी हुई है जिसके बहुत से कारण है।

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सदस्य

संयुक्त परिवार में दादा-दादी, माता-पिता, भाई-बहन के अतिरिक्त चाचा-चाची, ताऊ-ताई और उनकी विवाहित संताने मिलाकर 10 से 15 या इससे भी ज्यादा सदस्य हो सकते हैं जबकि एकल परिवार में चार से पांच सदस्य हो सकते हैं। इसमें माता-पिता व भाई-बहन होते हैं। संयुक्त परिवार की रीढ़ दादा-दादी को माना जाता था।

 

परिवार की महत्ता

समाज के कई बड़े संयुक्त परिवारों से मिलने पर एक बात सामने आती है कि इन परिवारों में व्यक्ति से ज्यादा अहमियत परिवार की होती है। वहां व्यक्तिगत पहचान कोई मुद्दा नहीं होता। परिवार की कुछ बंदिशे होती है जिनको परिवार के सभी सदस्यों को मानना पड़ता है। समाजशास्त्री मानते हैं कि बड़े संयुक्त परिवार को सही ढंग से चलाने के लिए लोगों को खुद से ज्यादा परिवार को महत्त्वपूर्ण मानना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं एकल परिवार यानि सिंगल परिवार और जॉइंट फैमिली में रहने के फायदे और नुकसान (Joint or Single Family Mein rahne ke fayde)।

 

संयुक्त व एकल परिवार के फायदे और नुकसान (Advantages and Disadvantages of Joint family Vs. Nuclear Family)

#1. अनुभव व आत्मनिर्भरता

संयुक्त परिवार यानि जॉइंट फैमिली में जहां माता पिता के रूप में अनुभवी शादीशुदा दंपति होते है जो नये दंपति को अच्छी सलाह दे सकते है। दादा-दादी, चाचा-चाची जैसे अन्य अनुभवी और बुद्धिमान सदस्य नए दंपति को उन समस्याओं से जूझने के लिए भी मदद कर सकते है।

इसके साथ ही संयुक्त परिवार में घरेलू समस्याओं को देखने का नजरिया भी अलग होता है| संयुक्त परिवार में दूसरों का अनुभव मिलता है जिससे आप समस्याओं को आसानी से और सही ढंग से हल कर सकते हैं जैसे कि बच्चों का पालन-पोषण, आर्थिक व वैवाहिक समस्याओं को सुलझाना।

वहीं दूसरी ओर एकल परिवार में दंपति को निर्णय स्वयं लेने की आजादी होती है। एकल परिवार में दंपति अपने हिसाब से वह सब नियम, रस्मे या परंपराये बना सकता है। इससे उन में आत्मनिर्भरता उत्पन्न होती है।

#2. बच्चों का पालन पोषण

संयुक्त परिवार में बच्चों का पालन-पोषण तो ठीक होता है पर उन्हें अनुशासन सिखाना मुश्किल होता है क्योंकि निर्देश देने वाले काफी होते हैं। परंतु एकल परिवार में बच्चे को अनुशासित करना आसान होता है क्योंकि बच्चों को सभी निर्देश उसके माता-पिता से ही मिलते हैं। ऐसे में बच्चा आसानी से माँ बाप की हर बात मान लेता है और ठीक ढंग से व्यवहार करता है।

#3. सबका साथ व अकेलापन

एकल परिवार में रहने वाला बच्चा अकेलापन महसूस करता है क्योंकि उसके पास संयुक्त परिवार की तरह खेलने के लिए कोई भाई-बहन नहीं होता हैं| इसके विपरीत संयुक्त परिवार में ऐसा नहीं होता। एकल परिवार में कई बार माँ-बाप गलती कर रहे होते हैं तो उसे ठीक करने वाला कोई नहीं होता है, जिसका बच्चों के पालन-पोषण पर बुरा असर पड़ता है।

#4. बाहरी दखल अंदाजी

एकल परिवार एक अलग दंपति परिवार होता है जो अन्य सुधारों की परेशानी से बचता है। एक परिवार में सदस्यों की कमी और दखल अंदाजी ना होने की वजह से दंपति को एक दूसरे को समझने का मौका मिलता है।

इसके विपरीत संयुक्त परिवार में ऐसा नहीं होता हैं| संयुक्त परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे की मदद करते हैं। जैसे नवजात शिशु को संभालने में आपको घर के दूसरे सदस्यों का भी सहयोग मिलेगा। इसमें संयुक्त परिवार काफी बेहतर होते है।

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#5. महिलाओं की स्थिति

संयुक्त परिवार में महिलाओं की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं होती वह सिर्फ रसोई और बच्चों के पालन-पोषण में ही अपना जीवन गुजार देती है जबकि एकल परिवार में औरतों को अपनी जिंदगी खुद की मर्जी से जीने का हक होता है।

जॉइंट फैमिली और सिंगल फैमली (Single Family) या एकल परिवार के फायदे नुकसान चाहे जो भी हो लेकिन आखिर में ये पूरी तरह से आप पर ही निर्भर करता हैं कि आप अपनी जिंदगी व अपने बच्चो का पालन पोषण किन परिस्थितियों में करना चाहती हैं|

इसमें कुछ भी सही या गलत नही हैं| कुछ लोग एकल परिवार में रहना पसंद करते हैं तो कुछ सयुंक्त परिवार (Joint Family) में|

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